निक्षेप बीमा एवं प्रत्यक्ष गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021

निक्षेप बीमा एवं प्रत्यक्ष गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021

:



निक्षेप बीमा एवं प्रत्यक्ष गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक आदि की विफलता ने भारतीय बैंकों में ग्राहकों द्वारा जमा राशि के विरुद्ध बीमा के अभाव को लेकर एक नई व्यवस्था है।निक्षेप बीमा एवं प्रत्यक्ष गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021 9 अगस्त 2021 को लोक सभा से पारित हो गया।ध्यात्वय है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 30 जुलाई, 2021 को राज्य सभा में निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC) विधेयक, 2021 प्रस्तुत किया गया।जिसे 4 अगस्त, 2021 को राज्य सभा ने पारित कर दिया। यह विधेयक डिपॉजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट, 1961 (DICGC ACT, 1961) में संशोधन करेगा।

DICGC यानी डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन. यह रिजर्व बैंक के अधीन एक निगम है, जिसे निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) कहा जाता है. असल में यह भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक​ डिपॉजिट्स पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है.

DICGC बैंकों में सेविंग, करंट, रेकरिंग अकाउंट या फिर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) आदि स्कीम्स में जमा 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित करती है. अगर कोई बैंक डिफॉल्टर हो जाता है तो उसके हर डिपॉजिटर को मूल रकम और ब्याज मिलाकर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की रकम DICGC अदा करवाएगा.

नए कानून से क्या लाभ होगा :- इस एक्‍ट के तहत पहले जमाकर्ताओं के अधिकतम एक लाख रुपये तक के निवेश सुरक्षित रहते थे. इसी में बदलाव करते हुए इसे 5 लाख तक बढ़ाया गया है. इसके साथ ही खाताधारकों के पैसा रिटर्न होने की समयसीमा 90 दिन यानी 3 महीने निर्धारित की गई है. इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों के इन्‍वेस्‍टमेंट को एक तरह से इंंश्‍योरेंस कवर मिलेगा.

पहले नियम, कैसे मिलते थे ग्राहकों के पैसे

अबतक नियम ऐसा है कि बैंक डूबने के बाद डिपॉजिटर्स को पैसे तब तक नहीं मिलते हैं, जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता. आरबीआई द्वारा जब किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल किया जाता है या फिर बैंक दिवालिया हो जाता है, तब उसके लिक्विडेशन यानी संपत्ति वगैरह बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसी से एक सीमा तक जमाकर्ताओं के इन्वेस्टमेंट की भरपाई की जाती है. इसकी वजह से लंबे समय उन्हें एक पैसा नहीं मिलता. अब एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी. मई 1993 से पहले तक डिपॉजिटर को बैंक डूबने की परिस्थिति में उनके खाते में जमा 30,000 रुपये तक की रकम पर ही वापसी की गारंटी हुआ करती थी. वर्ष 1992 में एक सिक्योरिटी स्कैम के कारण इसमें बदलाव किया गया. तब बैंक ऑफ कराड के दिवालिया हो जाने के बाद इंश्योर्ड डिपॉजिट की रकम की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपए की गई थी.

बजट 2021 में बढ़ाया गया है बैंक कवर

जिस बैंक में आपका पैसा जमा है, अगर वह डूब जाता है और आपके अकाउंट से पैसा निकालने पर रोक लगा दी जाती है, तो चिंता की बात नहीं. आपकी 5 लाख रुपए तक की जमा राशि सुरक्षित रहेगी. आपको यह राशि 90 दिन यानी करीब 3 महीने में वापस मिल जाएगी. सरकार ने डीआईसीजीसी एक्ट में बदलाव करते हुए ये नियम और समयसीमा तय की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में बैंक कवर बढ़ाने का ऐलान किया था, जिसके मुताबिक, DICGC एक्ट के तहत बैंकों में जमा 1 लाख की बजाय अब 5 लाख तक की रकम इंश्योर्ड यानी सुरक्षित रहेगी. वर्ष 2011 में आई रिजर्व बैंक की कमेटी ऑन कस्टमर सर्विस इन बैंक्स की रिपोर्ट में बैंक डिपॉजिट के सिक्योरिटी कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया गया था.

कौनसे बैंक DICGC के दायरे में आता है: डीआईसीजीसी के दायरे में बैंक के सभी डिपॉजिट्स आते हैं. इसमें सेविंग्स अकाउंट, फिक्सड डिपॉजिट अकाउंट, करंट अकाउंट वगैरह शामिल होता है. जहां तक बैंकों की बात है, सरकार ने कहा है कि इसके तहत कॉमर्श‍ियली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक क्यों न हों.किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय में डीआईसीजीसी उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाली इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है. अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ कर सकते हैं.

यदि एक ही बैंक की अलग-अलग ब्रांच में 5 लाख से ज्‍यादा रकम हो तो

डीआईसीजीसी किसी बैंक में जमा 5 लाख तक की रकम की ही गारंटी देता है. ऐसे में यह सवाल भी लोगों के मन में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि अगर एक ही बैंक के विभिन्न ब्रांचों में 5 लाख से ज्यादा रकम जमा हो तो उन्हें कितने पैसे मिलेंगे.. क्या हर ब्रांच में 5 लाख इंश्योरर्ड डिपॉजिट होगी? एक्सपर्ट बताते हैं कि एक ही बैंक के कई ब्रांचों की कुल डिपॉजिट पर अधिकतम 5 लाख रुपये की रकम ही इंश्योर्ड होती है.

इसे आसान भाषा में ऐसे समझें तो किसी बैंक की एक शाखा में आपने 4 लाख जमा करवा रखे हैं और दूसरे ब्रांच में 7 लाख रुपये तो इसका मतलब यह नहीं है कि 4+7 यानी 11 लाख रुपये में से आपको 10 लाख रुपये मिल जाएंगे. बैंक के डिफॉल्ट होने पर या डूबने पर आपके सिर्फ 5 लाख रुपये ही सुरक्षित माने जाएंगे यानी आपको 11 लाख की जगह 5 लाख ही मिलेंगे.

================================================= बीमा (संशोधन) विधयेक 2021

हाल ही में सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021को संसद से पारित किया गया है। इसे कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने 15 मार्च, 2021 को राज्यसभा में बीमा (संशोधन) बिल, 2021 को पेश किया था है। यह विधयेक, बीमा अधिनियम -1938 में संशोधन करता है। इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करने का प्रावधान किया गया है। एक फरवरी 2021 को पेश बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि अब बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी तक एफडीआई हो सकेगी। पहले सिर्फ 49 फीसदी तक की ही इजाजत थी।

क्या होता है बीमा

आर्थिक अवधारणा के अनुसार कोई भी घटक जो जोखिम को कम करे उसे बीमा कहते हैं। यह सामान्तया किसी बीमा कंपनी द्वारा प्रदत्त सेवा होती है जो साधरणतया दो प्रकार की होती है। जीवन बीमा - यह किसी व्यक्ति के दुर्घटना से मृत्यु तक के जोखिम को वहन किया जाता है। साधारण बीमा - इसे गैर जीवन बीमा भी कहते हैं यह परिसम्पत्तियों से जुड़े जोखिम का बीमा करता है। भारत में बीमा बाजार: भारत के बीमा उद्योग में 57 बीमा कंपनियाँ हैं 24 जीवन बीमा व्यवसाय में हैं, जबकि 33 गैर-जीवन बीमाकर्ता हैं। जीवन बीमाकर्ताओं में, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। गैर-जीवन बीमा खंड में छह सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ता हैं।

· इन बीमा कंपनियों के अतिरिक्त, भारतीय साधारण बीमा निगम एक मात्र राष्ट्रीय पुनर्बीमाकर्ता है। भारतीय बीमा बाजार में अन्य हितधारकों के अंतर्गत अनुमोदित बीमा एजेंट, लाइसेंस प्राप्त एजेंट कॉर्पोरेट, दलाल, सामान्य सेवा केन्द्र, वेब-संग्राहक, सर्वेक्षक और स्वास्थ्य बीमा दावों के संबंध में सेवा प्रदान करने वाले तृतीय पक्ष प्रशासक (टीपीए) शामिल हैं।

· बीमा विधि (संशोधन) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत किसी भी भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा में 26% से वृद्धि करते हुए इसे स्पष्ट रूप से 49% की समग्र सीमा तक बढ़ाने की व्यवस्था की गई है तथा इसके साथ ही भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण को सुरक्षित रखा गया है। अब इस नवीन विधयेक के द्वारा सीमा बढ़कर 74% करने का प्रयास किया जा रहा है।

· भारत में बीमा प्रवेशन, अर्थात् भारतीय बीमाकर्ताओं द्वारा प्राप्त प्रीमियम वित्तीय वर्ष 2015-16 में सकल देशी उत्पाद (जीडीपी) का 3.44% रहा है। इसके अंतर्गत भारत में प्रति व्यक्ति प्रीमियम अर्थात् बीमा घनत्व वित्तीय वर्ष 2015-16 में 54.7 अमरीकी डॉलर रहा है।

· भारत में, बीमा क्षेत्र का समग्र बाजार आकार 2020 में 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।

· वित्तीय वर्ष 2012 से 2020 के दौरान, भारत में जीवन बीमा कंपनियों के नए व्यवसाय से प्रीमियम में 15% की सीएजीआर में वृद्धि हुई। यद्यपि कोरोना ने इस वृद्धि को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

विधयेक के महत्वपूर्ण विन्दु : मुख्य संसोधन

· बिल बीमा अधिनियम -1938 में यह प्रावधान है कि विदेशी निवेशक किसी भारतीय बीमा कंपनी में 49% तक का पूंजी निवेश कर सकते हैं। अर्थात कम्पनी पर स्वामित्व भारतीयो का होना चाहिए परन्तु यह विधयेक विदेशी निवेश की इस सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करता है और स्वामित्व और नियंत्रण के प्रतिबंध को हटाता है। यह विदेशी निवेश केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अतिरिक्त शर्तों के अधीन हो सकता है।

· बिल बीमा अधिनियम -1938 में कहा गया है कि बीमा कंपनियों को एसेट्स में एक न्यूनतम सीमा तक निवेश करना होगा, जोकि उनकी बीमा दावों संबंधी देनदारियों को चुकाने के लिए पर्याप्त हो। यह प्रावधान भारत में निगमित हुई बीमा कंपनी पर भी लागू होता है। यदि कम्पनी किसी अन्य देश में निगमित या किसी अन्य देश में स्थित है तो तो इन एसेट्स को भारत के किसी ट्रस्ट के पास होना चाहिए और ऐसे ट्रस्टी के अधिकार में होना चाहिए जोकि भारत का निवासी हो।

अधिनियम के स्पष्टीकरण के अनुसार यह प्रावधान भारत में निगमित हुई बीमा कंपनी पर भी लागू होगा:

I. जिसकी न्यूनतम 33% पूंजी पर भारत के बाहर रहने वाले निवेशकों का स्वामित्व है,

II. जिसकी गवर्निंग बॉडी के न्यूनतम 33% सदस्य भारत के बाहर रहते हैं।

III. नवीनतम विधयेक इस प्रावधान का भी निरसन करता है।

विधयेक के लागू होने के प्रभाव :-

इस विधेयक के माध्यम से साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है . यह अधिनियम 1972 में लागू हुआ था और इसमें साधारण बीमा कारोबार के विकास के जरिये अर्थव्यवस्था की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण और हस्तांतरण की अनुमति का प्रावधान किया गया था.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी का उपबंध करने, बीमा पहुंच में वृद्धि करने, सामाजिक संरक्षण एवं पालिसीधारकों के हितों को बेहतर रूप से सुरक्षित करने तथा अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि में अंशदान करने के लिये अधिनियम के कुछ उपबंधों का संशोधन करना आवश्यक हो गया था. इसी के अनुरूप साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 लाया गया है. इसमें कहा गया है कि विधेयक के माध्यम से अधिनियम की उस अपेक्षा को हटाने का प्रावधान किया गया है जिसमें केंद्र सरकार विनिर्दिष्ट बीमाकर्ता की साम्य पूंजी 51 प्रतिशत से कम नहीं होने की बात कही गई है.

सरकारी पहल

बीमा के सुधार के लिए हाल में की गई सरकारी पहल भारत सरकार ने बीमा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

· केंद्रीय बजट 2019-20 के अनुसार, बीमा मध्यस्थों के लिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी गई थी।

· दिसंबर 2020 में, उत्तराखंड ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को 'COVID-19 बीमा पॉलिसी' देने की अपनी योजना की घोषणा की।

· नवंबर 2020 में, पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के साथ मिलकर, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने ग्राहकों के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) शुरू करने की घोषणा की।

· IRDAI ने बीमाकर्ताओं को बैंकों द्वारा जारी किए गए अतिरिक्त टियर 1 बॉन्ड में 10% तक का निवेश करने की अनुमति दी है, ताकि बैंकों के लिए योग्य निवेशकों के पूल का विस्तार करने के लिए उनकी टियर 1 पूंजी में वृद्धि हो सके।

भारत का बीमा बाजार तेजी से बढ़ता बाजार है वर्तमान भारत में 110+ InsurTech स्टार्ट-अप संचालित हैं। इसके साथ ही साथ भारत में बीमा आम जन जीवन से सम्बंधित है अतः इस विषय पर निर्णय लेने में सावधानी आवश्यक है। यद्यपि सरकार स्वयं बीमा कंपनी के रूप में अपने दायित्व को कम कर रही है परन्तु यह अभी भी बीमा को इरडा के माध्यम से विनियमित कर सरकार भारतीय जनता के धन को सुरक्षित कर रही है।