डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता

डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता

विश्व व्यापार संगठन 1 जनवरी, 1995 को बहुआयामी व्यापार समझौते के उरुग्वे दौर में तात्कालिक सदस्यों की सहमति से अस्तित्व में आया। डब्ल्यूटीओ का मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में स्थित है। विश्व व्यापार संगठन में 164 सदस्य (यूरोपीय संघ सहित) एवं 23 पर्यवेक्षक सरकारें (जैसे ईरान, इराक, भूटान, लीबिया आदि) हैं। मौजूदा समय में वैश्विक व्यापार नियमों में विश्व व्यापार संगठन की प्रासंगिकता को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में जहां कोविड महामारी ने वैश्विक आपूर्ति शृंखला और व्यापार को बाधित किया है, वैश्विक व्यापार को संरक्षित करने और उसके भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए डब्ल्यूटीओ को पुनः सक्रिय किए जाने की आवश्यकता है।

विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख कार्य निम्नलिखत हैं-

· व्यापार समझौतों को प्रशासित करना,

· व्यापार प्रतिनिधियों के लिए फोरम की स्थापना करना,

· व्यापार विवादों को सुलझाना,

· व्यापार नीतियों की निगरानी करना,

· विकासशील देशों के लिए तकनीकी सहयोग व प्रशिक्षण देना तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग करना।

विश्व व्यापार संगठन की संरचना तीन स्तरीय होती है-- -1) मंत्री स्तरीय सम्मेलन:- विश्व व्यापार संगठन का सर्वोच्च निर्णायक निकाय मंत्रालयिक सम्मेलन होता है जो आमतौर पर द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।यह विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों को एक साथ लाता है ये सब देश अथवा सीमा शुल्क संघ होते हैं। मंत्रालयिक सम्मेलन किसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत सभी मामलों पर निर्णय ले सकता है।

2) महापरिषद परिषद:- महापरिषद WTO का सर्वोच्च-स्तरीय निर्णायक निकाय होता है जो कि जिनेवा में स्थित है। WTO के कार्यों को पूरा करने के लिये नियमित रूप से इसकी बैठकें आयोजित की जाती हैं।

§ इसमें सभी सदस्य सरकारों के प्रतिनिधि (आमतौर पर राजदूत या उनके समकक्ष) होते हैं तथा उन्हें मंत्रालयिक सम्मेलन की ओर से कार्य करने का अधिकार होता है जो सिर्फ प्रति दो वर्ष में आयोजित किया जाता है।

§ महापरिषद की बैठक विभिन्न नियमों के तहत भी होती है जैसे-

o व्यापार नीति समीक्षा निकाय

o और विवाद समाधान निकाय

§ प्रत्येक तीन परिषदें व्यापार के विभिन्न व्यापक क्षेत्रों को संभालती हैं, महापरिषद को रिपोर्ट करती हैं: इनमें भी विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्य होते हैं।

o वस्तु व्यापार परिषद (माल परिषद)

o सेवा व्यापार परिषद (सेवा परिषद)

o बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार से संबंधित पहलुओं के लिये परिषद (TRIPS काउंसिल)

o जैसा कि इनके नाम दर्शाते हैं तीनों ही व्यापार के संबंधित क्षेत्रों जिनमें ये कार्य करती हैं, में WTO समझौतों के कामकाज़ के प्रति ज़िम्मेदार हैं।

3) महानिदेशक एवं सचिवालय:- विश्व व्यापार संगठन के निर्णयों एवं समझौतों के कार्यान्वयन के लिए जेनेवा में एक सचिवालय है, जिसके महानिदेशक की नियुक्ति मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के द्वारा की जाती है। इसके अधिकार, कर्तव्य एवं सेवा शर्तों का निर्धारण भी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन द्वारा ही किया जाता है।

विश्व व्यापार संगठन का महत्व

· विश्व व्यापार संगठन का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांत पर आधारित है।

· इसमें प्रत्येक देश को एक समान मतदान का अधिकार प्राप्त है।

· एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन-MFN) तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार में सभी सदस्यों के अधिकार सुरक्षित हों।

· विवाद निपटान निकाय (Dispute Settlement Body) व्यापार नियमों को लागू करता है और सभी देशों के मुद्दों पर समान रूप से विचार करता है।

· इसलिए नियम आधारित वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए डब्ल्यूटीओ जैसे संस्था का सक्रिय रूप से कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण है।


· डब्ल्यूटीओ से जुड़े चुनौती के विभिन्न मुद्दे:- पिछले कुछ वर्षों से अधिकांश देशों द्वारा आर्थिक नीतियों में संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया गया है एवं WTO इन संरक्षणकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने में विफल रहा है। कोविड 19 महामारी के कारण इन संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को और बढ़ावा मिला है जो कि चिंता का विषय है।

· वर्ष 2017 विश्व व्यापार संगठन मंत्रालायिक सम्मेलन (MC11) ब्यूनस आयर्स किसी भी सारभूत परिणाम के बिना समाप्त हो गया क्योंकि 164 सदस्यीय निकाय आम सहमति बनाने में विफल रही।

· सर्वसम्मति बनाने की समस्याः डब्ल्यूटीओ 164 सदस्य देशों का एक बड़ा निकाय है, इसलिए इतने सदस्यों के बीच किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाना कठिन कार्य हो जाता है।

· प्राथमिकताओं में विचलनः दोहा विकास एजेंडे की प्राथमिकताएं विकासशील और अविकसित देशों की ओर अभिमुिखत हैं। दोहा एजेंडा का सीधा संबंध विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा से है एवं इसके तहत विकसित देशों को अपने यहाँ कृषि सब्सिडी में कटौती करनी है। दोहा एजेंडे पर सहमति नहीं बन पायी। उरुग्वे दौर भी इन देशों के विकास को बढ़ावा देने और इनके साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने पर केन्द्रित है। जबकि विकसित राष्ट्र ई-कॉमर्स, निवेश सुगमता, सेवा व्यापार, लिंग मानदंडों जैसे मुद्दों के आधार पर नया एजेंडा प्रस्तावित कर रहे हैं।

· विवाद निपटान निकाय (DSB) की निष्क्रियताः अमेरिका द्वारा पिछले कुछ वर्षों से WTO के अपीलीय निकाय में सदस्यों की नियुक्ति को अवरुद्ध किया जा रहा है और इसका गंभीर प्रभाव WTO की विवाद निपटान प्रणाली पर पड़ रहा है।

· क्षेत्रीय व्यापार समझौतों में वृद्धि और WTO के बौद्धिक सम्पदा और श्रम कानूनों के बढ़ते प्रावधान भी नई चुनौतियों को प्रस्तुत करते हैं। प्रशांत देशों के बीच ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी इसी का एक उदाहरण है।

· विश्व व्यापार संगठन को दरकिनार करते हुए व्यापार युद्ध जैसे परिस्थितियां को पैदा किया जाना।

· विकासशील देशों के वर्गीकरण मानदंडों जैसे कई मुद्दों के नाम पर यूएसए द्वारा डबल्यूटीओ के साथ सहभागिता में अनिच्छा जाहिर करना।


डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता :- डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए निम्नलिखत प्रमुख सुझावों को अपनाया जा सकता हैः

· डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को नए महानिदेशक की शीघ्रता से नियुक्ति करनी चाहिए। महानिदेशक का मुख्य कार्य सदस्य देशों के बीच सहमति बनाना होता है। इसके लिए आवश्यक है कि महानिदेशक राजनीतिक रूप से तटस्थ और निष्पक्ष हो।

· डब्ल्यूटीओ के सुचारू संचालन के लिए यूएसए को इसमें संलग्न किया जाना चाहिए। डब्ल्यूटीओ की प्रक्रिया के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए सदस्य देशों की वास्तविक चिंताओं को संबोधित किया जाना चाहिए।

· विवाद निपटान निकाय (DSB) को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए, क्योंकि बिना विवाद निपटान तंत्र के डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता ही धूमिल हो जाती है। इसके लिए यूएसए को भी आश्वस्त किया जाना चाहिए।

· जून 2021 में होने वाले आगामी मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के एजेंडे को सीमित किया जाना चाहिए ताकि इसकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। इससे संगठन की कार्य क्षमता में भी वृद्धि हो सकती है।

· इसके अलावा डब्ल्यूटीओ को चीन और उसकी व्यापार प्रथाओं पर फिर से विचार करना करना होगा। यह सिर्फ इसलिए नहीं की चीन विश्व व्यापार संगठन का एक महत्वपूर्ण सदस्य है बल्कि इसलिए भी क्योंकि कई देश चाहते हैं कि संगठन चीन के राज्य स्वामित्व वाले उद्यमों, उसके द्वारा तकनीकी हस्तांतरण और गैर-बाजार अर्थव्यवस्था की भूमिका जैसे मुद्दों को स्पष्ट किया जाना चाहिए।

· विश्व व्यापार संगठन ई-कॉमर्स, निवेश और सेवाओं व्यापार जैसे मुद्दों के लिए मध्यम अवधि में भविष्य की बातचीत का एजेंडा भी तय करना चाहिए और इसमे विकासशील देशों की समस्याओं को भी संबोधित किया जाने समेत दोहा एजेंडा की दिशा में आगे बढ़ा जाना चाहिए।

· बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत लाया जा सकता है और भविष्य में इन समझौतों में अन्य देशों के शामिल होने की गुंजाइश भी होनी चाहिए।

विश्व व्यापार संगठन एवं भारत:- भारत प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) 1947 और इसकी जगह लेने वाले संगठन, डब्ल्यूटीओ का एक संस्थापक सदस्य है।

नियम के आधार पर भारत की बढ़ती भागीदारी से व्यापार एवं समृद्धि में वृद्धि होगी।

§ सेवाओं का निर्यात भारत में वस्तु एवं सेवाओं के कुल निर्यात का 40% है। भारत की GDP में सेवाओं का योगदान 55% से अधिक है।

§ यह क्षेत्र (घरेलू एवं निर्यात) लगभग 142 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है, जिसमें देश का 28% श्रमबल शामिल है।

§ भारत के निर्यात मुख्य रूप से IT और IT सक्षम क्षेत्रों, यात्रा एवं परिवहन तथा वित्तीय क्षेत्र में हैं।

§ इन सेवाओं के मुख्य उपभोक्ताओं में अमेरिका (33%), यूरोपीय संघ (15%) और अन्य विकसित देश हैं।

§ सेवाओं के व्यापार के उदारीकरण में भारत की स्पष्ट रुचि है और भारत चाहता है कि विकसित देशों द्वारा व्यावसायिक रूप से सार्थक पहुँच प्रदान की जाए।

§ उरुग्वे राउंड के बाद से, भारत ने स्वायत्त रूप से अपनी सेवा व्यापार प्रणाली को उदार बनाया है।

§ खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर भारत जैसी बड़ी कृषि अर्थव्यवस्था के लिये।

§ भारत विश्व व्यापार संगठन में सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग सब्सिडी पर स्थायी समाधान की माँग कर रहा है।

§ वर्ष 2013 बाली मंत्रालयिक सम्मेलन (MC9) में सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंगपर एक अंतरिम समझौता (एक शांति उपनियम) किया गया था इस अपवाद के साथ जो विकासशील देशों को खाद्य पदार्थों की कमी से बचाने के लिये कृषि उत्पादों का भंडार करने की अनुमति प्रदान करता है।

§ भारत बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय एवं अल्फांसो आम जैसे उत्पादों के लिये भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के उच्च स्तर पर विस्तार का पक्षधर है, जो कि बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) समझौते के अंतर्गत वाइन तथा स्प्रिट को प्रदान किये गए हैं।

§ विश्व व्यापार संगठन के समझौतों में श्रम मानकों, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों, निवेश के नियमों, प्रतिस्पर्द्धा नीति जैसे गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने पर विकसित देश दबाव डाल रहे हैं।

§ भारत गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने के विरुद्ध है जो लंबे समय से संरक्षणवादी उपायों को लागू करने के लिये निर्देशित हैं (गैर-व्यापार मुद्दों के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देश कुछ वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं, जैसे वस्त्र, प्रसंस्कृत भोजन आदि), विशेष रूप से विकासशील देशों से।


कोविड-19 के बाद की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को संरक्षित करने और व्यापार वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूटीओ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। महामारी, संरक्षणवाद और व्यापार युद्ध जैसे चुनौतियों के बीच वैश्विक व्यापार एक अनिश्चित समय का सामना कर रहा है। इसलिए विश्व की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक निकाय का कायाकल्प किया जाना आवश्यक है।